bhojpuri kavita Archive

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आइल  बानी  हितई  में अपना घरे जाए के बा

आइल  बानी  हितई  में अपना घरे जाए के बा लाख लगा लीं जुगुत एकदिन मरिये जाए के बा   ए सखी देखऽ  विहान  भइल जल्दी उठऽ जा घइली में पनिया भरे गंगा की तिरे जाए के बा   काहें अगुताइल बाड़ऽ

लेके  कान्हा पर  हमके ढोअत रहेंले बाबूजी

लेके  कान्हा पर  हमके ढोअत रहेंले बाबूजी बेटवा के मुस्काइल देखी हँसत रहेंले बाबूजी   ऊ लेके  अपना कोरा में बाग बगान घुमावेलें सुन्दर – सुन्दर  बतिया कहत रहेंले बाबूजी   माथा पर उनकर हाथ रहेला अंबर के जेइसन गलवा पर

किस्मत  हँसावत  रहे एतना मेहरबान नइखे

किस्मत  हँसावत  रहे एतना मेहरबान नइखे एतना भी  आसानी से छूटे वाला जान नइखे   ऊ दोसरा के  रहल  दोसरा के हो गइल बा जवन बिला  गइल ऊ  पावल आसान नइखे   ईहवाँ मेहनत से सब मिली जादू से ना मिली

रोज जियला में कइसे कहीं गम नइखे

रोज जियला में कइसे कहीं गम नइखे जिनिगिया में आफ़त कवनो कम नइखे   ई नाशा प्यार के कहाँ उतरल बा कबो एकर दवाई  विस्की  अउर रम नइखे   जवना किरदार  में  आँसू ना मिलल त जान लिहऽ कि ओइमे कवनो
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