bhojpuri kavita Archive

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जब भी आग लागी त इहाँ केकर घर ना जरी

  जब भी आग लागी त इहाँ केकर घर ना जरी       जब भी आग लागी त इहाँ केकर घर ना जरी ऊ गलतफ़हमी में बा कि ओकर घर ना जरी   जे भी सूरज के छूएके तमन्ना राखत

कवनो रंग  प्यार  के बादे चटकार होला

कवनो रंग  प्यार  के बादे चटकार होला       कवनो रंग  प्यार  के बादे चटकार होला ई जे अंग लाग जाला गजबे निखार होला   मन के रिश्ता सगरो रिश्ता में अनमोल बा ई जब भी होला ना नगदी ना

तिरछी नजर में देखऽ छुरा कटार बा

तिरछी नजर में देखऽ छुरा कटार बा       तिरछी नजर में देखऽ छुरा कटार बा बेर – बेर आके करेजा बेधत हमार बा   हावा से उधियाए त अचिको मान न आए दामन पे जे उनका ओढ़नी चटकार बा

मउगत आ जाई त बचाइ के

मउगत आ जाई त बचाइ के     मउगत  आ जाई  त बचाई के वक्त के गोड़ में बेड़ी लगाई के   सफर में  हमसफर साथ राखऽ गर ठेक लाग जाई त उठाई के   घर के आगी त लोग बुता
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