bhojpuri kavita Archive

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पग – पग पर पाबंदी लागल

पग – पग पर पाबंदी लागल     पग – पग पर पाबंदी लागल तबो ना मानल मनवा पागल   ई धरती आंचल में लुकवइलस अउर छत्रछाया देहलस बादल   बितल दुख बिसरा के एकदिन जीवन नया सबेरा लेके जागल  

चलत राह में जब केहू अजनवी भेटा जाई

चलत राह में जब केहू अजनवी भेटा जाई नाहीं चली जुगुत कवनो तनमन हेरा जाई   चलऽ मिलजुल के तूफान से बचावल जा सशंकित सभे बाटे कि ई दियरी बुता जाई   लोग पाप क के सजा से बचल चाहत बा

केहू के मुआवल बाटे बहुत आसान

    केहू के मुआवल बाटे बहुत आसान     केहू के मुआवल बाटे बहुत आसान केहू के कोई दे सके कहँवा बा परान   अमीर गरीब केहू इहाँ सुखी नइखे सभे अपना हालात पर बाटे हरान   लइका दिल्ली में

घर के दुश्मन से जान कइसे बचावल जाए

घर के दुश्मन से जान कइसे बचावल जाए रक्त केतना ए धरती माई के चढ़ावल जाए   जवन दियरी आगी लगावे पे अमादा होखे बेहतर होई  कि  ओकरा के बुतावल जाए   डूबत बाड़ऽ त मोटरी के लालच जिन करऽ सबकुछ
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