अब न पता बाटे ई बहार फेर कब मिली
अब न पता बाटे ई बहार फेर कब मिली
अब न पता बाटे ई बहार फेर कब मिली
फूलन के मुख पर उभार फेर कब मिली
खेतन के अंग पर हरियर लिबास बाटे
ई दिन चल जाई त दीदार फेर कब मिली
गाँव के सब गोरीया पुलक पुलक जाली
गाँव के छोरन के ई प्यार फेर कब मिली
कोयल, मैना, तोता सब किलकारी भरे
बगइचा में ई गुलजार फेर कब मिली
महुआ के रस बा घुलल गोरी के होंठ में
एतना सरबती रसधार फेर कब मिली
नजर की वार में जियरा लुटा गइल हो
जीत के भाव में ई हार फेर कब मिली
बिन सिंगार के यौवन रति नियन भइल
सादगी में घुलल ई सिंगार फेर कब मिली
हँसत चेहरा के काल्ह रोए
हँसत चेहरा के काल्ह रोए के पड़बे करी
जिनिगी हरपल जी के खोए के पड़बे करी
रोटी के भूख भाई पेट के दरकार बाटे
धरती कोड़ के अन्न बोए के पड़बे करी
आज सब मनई के मन के चैन भिलाइल
ई बाटे मगर मनवे में जोहे के पड़बे करी
अपना जिस्म पर कहीं जे घाव हो जाई त
केतनो दुखलाई मगर टोए के पड़बे करी
लइका के गलती बाप के ऊपर बोझ होला
लइका शोहदा निकली त ढोए के पड़बे करी
बड़ा लक्ष्य खातिर अनगिनत बलिदान होला
फसल के बचावे ला घास सोहे के पड़बे करी