आदमी के दिशा से बहकावेला

आदमी के दिशा से बहकावेला

 

 

आदमी के दिशा से बहकावेला

बहुत लोग रस्ता भुलवावेला

 

हवा गुलाब के झकझोर के

बेर – बेर काँटा चुभावेला

 

कुछ लोग आपन हित बनके

मनके पुरनका घाव दुखावेला

 

साँप के केतनो दुध पियावऽ

मगर ऊ कहाँ दोस्ती निभावेला

 

बस ईहे रीत ए संसार के बाटे

अपने जामल चिता जरावेकला

 

जे कोठा पर रोजे झुक जाला

ऊ समाज के बड़का कहावेला

 

जवन पत्थर ठोकर मार देला

चलला के ढंग उहे सिखावेला

 

जिनिगी में गलतियो के वजह बा

गलती साँच से वाकिफ करावेला

 

केहू भी खुशी के घमंड ना करे

वक्त ह सहकल मूड़ी नेवावेला

 

ऊ सोझा पे झगरा सलटा देला

बाकिर अलोता लुत्ती धरावेला

 

वक्त सब केहू के

 

वक्त सब केहू के रस्ता देखावेला

बाकिर केहू समझिए ना पावेला

 

दुनिया में कुछ लोग एइसन बा

जे बिना दुध के लइका जियावेला

 

भरला पर त केहू पूछत रहेला

भूख लागेला त केहू ना खियावेला

 

लइका केतना होनहार होई आगे

बचपन के चाल चलबन बतावेला

 

प््रोमी रोज निगाह की पेन्सिल से

मन के कागज पे चेहरा बनावेला

 

दोस्ती होखे अगर आइना से होखे

ई आइना हरदम सच बतावेला

 

घाम धरती पर बिखरिए जाला

भलहीं बादर केतनो छुपावेला

 

हमरा गम में हँसे के कला आवेला

भले मुद्दई घाव केतनो दुखावेला

 

 

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