तिरछी नजर में देखऽ छुरा कटार बा

तिरछी नजर में देखऽ छुरा कटार बा

 

 

 

तिरछी नजर में देखऽ छुरा कटार बा

बेर – बेर आके करेजा बेधत हमार बा

 

हावा से उधियाए त अचिको मान न आए

दामन पे जे उनका ओढ़नी चटकार बा

 

मौसम बसंती आ गइल खेत खरिहाने

सब पर मदहोशी के चढ़ल खुमार बा

 

खेतन में देखऽ लहकल सरसो के फूल

स्पर्श से अठखेली करे पछुआ बयार बा

 

रंग चढ़े देह पर अउरी गुलाल उड़ियाए

गाँजा भाँग पी के भँगुआइल सारा जवार बा

 

चुनरी में जगह जगह

 

चुनरी में जगह जगह फार हो गइल

तोपल धापल देहिंया उघार हो गइल

 

रहनी घर में सूतल देखनी एगो सपना

सइंया जी के अचिके में दीदार हो गइल

 

ऊ रहे ठीक ठाक ओठंगल खटिया पर

बेरा गइल पाता लागल बेमार हो गइल

 

दुनिया के भीड़ में प्रभु याद नाहीं अइले

बाकी लाहे लाहे उमिरिया पार हो गइल

 

बस अंतिम घड़ी में मन में पछतावा लेके

उड़न खटोला पर सुगना सवार हो गइल

 

Leave A Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

[an error occurred while processing the directive]
error: Content is protected !!