समय एतना बरियार होला

 

समय एतना बरियार होला

 

 

 

समय एतना बरियार होला

 

 

 

समय एतना बरियार होला

जेकरा आगे सबके हार होला

 

ई त सबके झुका देला मगर

हाथ में ना कोई तलवार होला

 

का जानवर का आदमी का परिंदा

भटक ना खुले सभे लाचार होला

 

हमरा लगे दरिया मगर मीठा

समंदर के पानी त खार होला

 

इहाँ सभे स्वयं के शरीफ कहेला

के कही कइसन गुनाहगार होला

 

असत्य के दीवार ढहबे करेला

एकर कहाँ कवनो आधार होला

 

खता-ए-इश्क एइसन हऊए कि

सभे आदमी से ई बार बार होला

 

केहू भी केहू से दोस्ती

 

केहू भी केहू से दोस्ती निभावत नइखे

गले लागऽता, दिल से लगावत नइखे

 

पड़ोसी ए हद तक रश्क़ में बाटे डूबल

घर में डाका परल बा जगावत नइखे

 

एक बित्ता जमीन खातिर कतल हो गइल

त मन से प्रतिशोध के आगी बुतावत नइखे

 

फिजा कह रहल फेरु महाभारत होखबे करी

केहूके भी प्रेम के भाषा समझ आवत नइखे

 

जेकरा से प्यार भइल ओकरा से धोखा मिलल

दिल में दरद अपार बा, आँसू बहावत नइखे

 

आदमी धन के लोभ में एतना मलेछ भइल बा

मोटरी की मोह में डूबऽता जां बचावत नइखे

 

घन से तिजोरी भरल बा सगरो रिपन के मगर

स्वयं भी खात नइखे परिवारो के खियावत नइखे

 

आपस के बिछोह के कारण जरुर बनी कहियो

जो स्नेही अगर कवनो भी राज छुपावत नइखे

 

‘संजय’ दुनियादारी त सभे जतन करेला सँइठ केे

लेकिन केहू नइखे जे कीमती वक्त लुटावत नइखे

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