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ऊ माली हकीकत खू चिन्हत बा

ऊ माली हकीकत खू चिन्हत बा

        ऊ माली हकीकत खू चिन्हत बा     ऊ माली हकीकत खू चिन्हत बा बस  चमन  के  फूल जिनत बा   अपना सुरतिया पर ध्यान नइखे ऊ साथी मगर सुन्दर बिनत बा   जमाना प्यार के बाजार
जियल कठिन बा पर जियल चाहेला आदमी घाव जब हो जाला त सियल चाहेला आदमी आपन दुख सहल सहज ना होला कबो केहूके बाकिर दोसरा के दुख दिहल चाहेला आदमी जनम से मउगत तलक जिम्मा केहू ना निभावे किन्तु हरपल ऊँचा पद लिहल चाहेला आदमी

जियल कठिन बा पर जियल चाहेला आदमी

          जियल कठिन बा पर जियल चाहेला आदमी       जियल कठिन बा पर जियल चाहेला आदमी घाव जब हो जाला त सियल चाहेला आदमी   आपन दुख सहल सहज ना होला कबो केहूके बाकिर दोसरा

अब न पता बाटे ई बहार फेर कब मिली

अब न पता बाटे ई बहार फेर कब मिली     अब न पता बाटे ई बहार फेर कब मिली फूलन के मुख पर उभार फेर कब मिली   खेतन के अंग पर हरियर लिबास बाटे ई दिन चल जाई त

बस ऊहे आदमी हार के मुँह ना देखी कबो

बस ऊहे आदमी हार के मुँह ना देखी कबो         बस ऊहे आदमी हार के मुँह ना देखी कबो जेकरा वक्त के मार सहत रहेके आदत बा   ई जमाना कदम-कदम पर तंज कसेला पर ऊ कहबे करी
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