bhojpuri kavita Archive

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हादसा के नाम सुनके अंग-अंग सिहर  जाला

हादसा के नाम सुनके अंग-अंग सिहर  जाला लेकिन हादसा लोग दोसरा के संगे कर जाला   एक – एक बूँद से तालाब ही बस नाहीं भरेला एक -एक पाप से त  पाप के घड़ो  भर जाला   ई धरती  मंच बा 

बस रुप के आगे झुकेला संसार

बस रुप के आगे झुकेला संसार     बस रुप के आगे ही झुकेला संसार मन के स्वरुप से करे केहू ना प्यार   माई बाप के प्यार फोकट में बरसेला अउर सगरो रिश्ता मिले नगदी उधार   अब त सरेआम

कबो दिल लुटा जाला बेकस निगाह हो जाला

कबो दिल लुटा जाला बेकस निगाह हो जाला आदमी जरुर कवनो मोड़ पे हमराह हो जाला   इश्क़ के केहू गुनाह बुझे त बुझे दिहल जाए इहाँ छोट बड़ हर केहू से ई गुनाह हो जाला   प्रित मन की कोना

आदमी के किस्मत बनके बिगड़ जाला

आदमी के किस्मत बनके बिगड़ जाला आँधी की झोंका से मढ़ई उजड़ जाला   हर पग नया नया मोड़  आवत  रहेला बाकिर कुछ देर में ऊहो  बिछड़ जाला   लाख चाहस  कृष्ण  महाभारत रोके के अहंकार के मद में  झगरा  बजड़
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