bhojpuri kavita Archive

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ललसा आधा अधूरा बा

ललसा आधा अधूरा बा     ललसा आधा अधूरा बा म्ंाजिल  बहुते  दूरा बा   अखड़ा में पटकाइल बा अबले  पीठ में  धूरा बा   सभे एगो दुख में लागल इहाँ केकर असरा पूरा बा   बाहर से पक्का चमकऽता आ

रात भर  कल  धरऽ  उजियार  होखे द

  रात भर  कल  धरऽ  उजियार  होखे द     रात भर  कल  धरऽ  उजियार  होखे द दुख के  अंधेरा छँटी  भिनसार  होखे द   तू वोट ओकराके द जे देश के भला करे साँच नेता के कुर्सी पर अधिकार होखे

पूछत  बाटे लोगवा अब हमरा कइसन लागऽता

पूछत  बाटे लोगवा अब हमरा कइसन लागऽता हम कहनी ह कदम कदम पर खतरा लागऽता   लोकतन्त्र में सब लोग करऽता फैसला अउरी तूू तू मैं मैं से भरल किस्मत के पतरा लागऽता   नेताजी देशहित में बात करेलें  भाषण में

कहियो सबका  आपन देबे के हिसाब बा

कहियो सबका  आपन देबे के हिसाब बा झूठहीं में  राखल  चेहरा पर  रोआब बा   केतनो  भी  छुपावऽ बाकिर  ईश्वर  के लगे लिखके राखल सबका करनी के किताब बा   तनिका  गैरत  जो  फितरत  में नइखे त का फायदा  अगर  सूरत
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