केहू से प्यार कइला में कवनो गुनाह नइखे
केहू से प्यार कइला में कवनो गुनाह नइखे
केहू से प्यार कइला में कवनो गुनाह नइखे
बाकिर पानी कइसे बही जेने बहाव नइखे
महतारी बाप देहाड़ी कमा के पढ़ावत बाटे
बाकिर लइकवन में पढ़ला के चाव नइखे
खोजलो से अभिन नेता कवनो देखात ना बा
काहेंकि जवार में अभिन आइल चुनाव नइखे
खेवाए के चाहत बा बेराजगारी के मँझदार से
देश के लइकन के लउकत कवनो नाव नइखे
अदा त हर युवतियन के सोरहो सिंगार होला
ऊ हुस्न हुस्न ना ह जेइमें तनिको छाव नइखे
प्यार के वार बड़ा जुगुत जुगाड़ से हो जाला
पर ए वार में कवनो हार जीत के दाव नइखे
अथाह दुख के बाद भी
अथाह दुख के बाद भी जिनिगिया बाकी होला
महल गिर जाला त सहारा मढ़ई टांटी होला
जे अकेले परिवर्तन के मार्ग पर आगे बढ़ेला
बस एगो ओही के छप्पन इंच के छाँती होला
जेकरा हाथ में सरकार बा उहे बस राज करी
बंदूक के सामने केतना हैसियत में लाठी होला
इमानदार अफ़सर से नेता जी वर्दी छीन लेलन
जवन घूसखोर बाटे ओही के देह पर खाकी होला
आरक्षण के बाद भी दलितन के दासा खराब बा
रोटी तब मिलेला जब आन के चूल्हा चाकी होला
केहू झूठ में ही ऊँच नीच के भेद में जियल करेला
वरना मउगत के बाद में केकर अलग माटी होला
कथी राजा, कथी रंक, सबकर एकही गति बा इहाँ ( कथी – क्या)
एकदिन मर के सभे जरेला जर के सभे राखी होला
जब केहू मनमित दिल के शीशा नियन तूर देला
दरद उमर भर रहेला भले सहारा साकी होला
चाहे लाख कोशिश करऽ जरावे के मगर ना जरेला
अगर तेल ना होला तनी भलहीं दियरी में बाती होला
दुख जिनिगी में केतनो मिले पथ जिन छोड़ऽ कबो
सब धन बेमोल बा बस कर्म आदमी के थाती होला